मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गुजारा भत्ता,, supreme court ने किया बड़ा फैसला – Supreme Court Affirms: Muslim Women Entitled to Maintenance After Divorce

supreme court का ऐतिहासिक फैसला: CRPC धारा 125 सभी महिलाओं पर लागू (Muslim women can also demand
maintenance from their husbands, Supreme Court’s big decision.)

supreme court ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा है कि CRPC की धारा 125 सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। इस प्रावधान के तहत मुस्लिम महिलाएं भी अपने पति के खिलाफ गुजारे भत्ते के लिए याचिका दायर कर सकती हैं।

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Muslim women can also demand
maintenance from their husbands, Supreme Court's big decision.
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मुस्लिम तलाकशुदा महिलाओं के लिए राहत

justice bv nagarathna और justice augustine george masih की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि कोई भी मुस्लिम तलाकशुदा महिला CRPC की धारा 125 के तहत गुजारे भत्ते के लिए अपने पति के खिलाफ याचिका दायर करने का अधिकार रखती है। यह फैसला महिलाओं के भरण-पोषण के कानूनी अधिकार को और मजबूत बनाता है।

धारा 125 की व्यापकता

supreme court ने कहा कि यह धारा सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है, फिर चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। मुस्लिम महिलाएं भी इस प्रावधान का सहारा ले सकती हैं और अपने पति के खिलाफ धारा 125 CRPC के तहत भरण-पोषण के लिए याचिका दायर कर सकती हैं।

अलग-अलग फैसला, समान राय

हालांकि, justice bv nagarathna और justice augustine george masih ने अलग-अलग फैसला सुनाया, लेकिन दोनों की राय समान रही। दोनों जजों ने मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की पुष्टि करते हुए उनके लिए यह कानूनी रास्ता खोल दिया।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला अब्दुल समद नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति से जुड़ा है जिसने तेलंगाना हाईकोर्ट के अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने के आदेश को supreme court में चुनौती दी थी। अब्दुल समद ने दलील दी थी कि तलाकशुदा मुस्लिम महिला CRPC की धारा 125 के तहत याचिका दायर करने की हकदार नहीं है और उसे मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत ही चलना होगा।

CRPC की धारा 125 क्या है?

CRPC की धारा 125 में पत्नी, संतान और माता-पिता के भरण-पोषण को लेकर विस्तृत जानकारी दी गई है। इस धारा के अनुसार, पति, पिता या बच्चों पर आश्रित पत्नी, माता-पिता या बच्चे गुजारे भत्ते का दावा तभी कर सकते हैं जब उनके पास आजीविका का कोई अन्य साधन न हो।

supreme court का यह फैसला महिलाओं के अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे मुस्लिम महिलाओं को भी न्याय की दिशा में एक नया रास्ता मिला है।

आप का इस फैसले पर क्या कहना है? नीचे कमेंट करके अपनी राये जरूर बताएं.

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