फास्टैग, NCMC और यूपीआई लाइट के ग्राहकों को मिलेगा नया फीचर, RBI ने रखा प्रस्ताव, ऑटोमैटिक जमा हो जाएंगे पैसे – Great news for Fastag and metro card users! RBI now permits automatic replenishment through e-mandate. Find out how it works!

e-mandate: ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत फास्टैग, एनसीएमसी आदि में स्वचालित भुगतान के लिए ग्राहक के खाते से किए गए भुगतान के लिए इस आवश्यकता से छूट देने का प्रस्ताव है।

ग्राहक जल्द ही फास्टैग, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC), यूपीआई लाइट में राशि तय सीमा से नीचे जाने पर उसमें स्वचालित रूप से पैसा डाले जाने की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने ‘e-mandate’ रुपरेखा के तहत इन उत्पादों में स्वत: पैसा डालने की सुविधा देने का प्रस्ताव किया है। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति के निर्णय की जानकारी देते हुए शुक्रवार को कहा कि निश्चित अवधि पर होने वाले भुगतान के लिए ‘ई-मैंडेट’ का चलन बढ़ रहा है। इसको देखते हुए फास्टैग, एनसीएमसी आदि में खुद से पैसा डालने की सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।

क्या है e-mandate?

‘ई-मैंडेट’ व्यवस्था के तहत बैंकों को भुगतान के लिए संबंधित ग्राहक के बैंक खाते से निश्चित राशि काटे जाने की अनुमति दी जाती है। दास ने कहा कि ‘ई-मैंडेट’ के तहत अभी दैनिक, साप्ताहिक, मासिक आदि जैसे निश्चित अवधि वाले भुगतान के लिए तय समय पर ग्राहक के खाते से पैसा स्वयं कट जाता है। अब इसमें ऐसी सुविधाओं व प्लेटफॉर्म्स को जोड़ा जा रहा है, जिनमें भुगतान जरूरत होने पर किया जाता है। ऐसे में भुगतान का समय और राशि तय नहीं है।

ऑटोमैटिक वॉलेट में जमा हो जाएंगे पैसे

उन्होंने कहा, ‘‘ई-मैंडेट व्यवस्था के तहत, ऐसे भुगतान के लिए एक स्वचालित सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव है। जब फास्टैग या एनसीएमसी में शेष राशि ग्राहक द्वारा निर्धारित सीमा से कम हो जाएगी, तो स्वचालित तरीके से इसमें पैसा संबंधित ग्राहक से डाल लिया जाएगा।’’ इससे यात्रा/आवाजाही से जुड़ा भुगतान सुगम होगा। ‘ई-मैंडेट’ ग्राहकों के लिए आरबीआई द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल भुगतान सेवा है। इसकी शुरुआत 10 जनवरी, 2020 को की गई थी। आरबीआई के बयान के अनुसार, मौजूदा ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत ग्राहक के खाते से पैसे निकालने से कम- से-कम 24 घंटे पहले इसकी सूचना देने की आवश्यकता होती है।

यूपीआई लाइट में भी यह सुविधा लाने का प्रस्ताव

ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत फास्टैग, एनसीएमसी आदि में स्वचालित भुगतान के लिए ग्राहक के खाते से किए गए भुगतान के लिए इस आवश्यकता से छूट देने का प्रस्ताव है। आरबीआई ने यूपीआई लाइट को ‘ई-मैंडेट’ ढांचे के दायरे में लाने का भी प्रस्ताव रखा है। बयान में कहा गया, यूपीआई लाइट सुविधा वर्तमान में ग्राहक को अपने यूपीआई लाइट वॉलेट में 2,000 रुपये तक रखने और वॉलेट से 500 रुपये तक का भुगतान करने की अनुमति देती है। दास ने कहा, ‘‘ ग्राहकों को यूपीआई लाइट का निर्बाध उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए और विभिन्न पक्षों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर ग्राहक द्वारा यूपीआई लाइट वॉलेट में पैसे डालने के लिए ‘ऑटो-रिप्लेनिशमेंट’ (स्वतः पुनःपूर्ति) सुविधा शुरू करके यूपीआई लाइट को ‘ई-मैंडेट’ ढांचे के दायरे में लाने का प्रस्ताव है, यदि शेष राशि उसके द्वारा निर्धारित सीमा से कम हो जाती है।’’

खाते से वॉलेट में चली जाती है रकम

आरबीआई के अनुसार, चूंकि धनराशि ग्राहक के पास ही रहती है (धनराशि उसके खाते से वॉलेट में चली जाती है) इसलिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण या खाते से पैसे निकालने से पहले जानकारी देने की आवश्यकता को समाप्त करने का प्रस्ताव है। उपरोक्त प्रस्ताव के संबंध में संबंधित दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

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