Kolkata doctor rape case: किसे बचाने की कोशिश कर रही है ममता सरकार? जनता के इन 6 सवालों का क्या है जवाब – Kolkata doctor rape and murder case: Who is Mamata government trying to protect? Here are 6 questions people are asking

कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई दर्दनाक घटना ने ममता सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। निर्भया केस जैसी विभीषिका के बावजूद कोलकाता पुलिस की असंवेदनशीलता से जनता का आक्रोश उभर रहा है।

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Kolkata doctor rape case
कोलकाता डॉक्टर रेप केस: ममता सरकार पर उठे सवाल, जनता के 6 सवालों का कौन देगा जवाब?

Kolkata doctor rape case से पब्लिक में गुस्सा

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक 31 वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ जो हुआ, वह किसी भी इंसान को हिला देने वाला है। पांच दिन बीतने के बाद भी लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ है। Kolkata doctor rape case की तुलना दिल्ली के निर्भया केस से की जा रही है। बंगाल सरकार के ढीले रवैये से लोग स्तब्ध हैं और इसका विरोध कर रहे हैं। ममता सरकार के प्रति लोगों का अविश्वास बढ़ता जा रहा है, और अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस मामले में कोई बड़ा नेता शामिल हो सकता है?

1-टीएमसी नेताओं की चुप्पी

देशभर में Kolkata doctor rape case के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन टीएमसी के बड़े नेता इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। खासकर काकोली घोष और उनके पति, जो आरजी कर मेडिकल कॉलेज से जुड़े हैं, अब तक इस पर कुछ नहीं बोले हैं। महुआ मोइत्रा, जो अक्सर केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रामक रहती हैं, उन्होंने भी इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जब स्वतंत्र पत्रकार अजित अंजुम ने उनसे सवाल पूछना चाहा, तो उन्होंने उन्हें ब्लॉक कर दिया। टीएमसी के अन्य नेता भी इस मुद्दे पर कुछ कहने से बच रहे हैं।

2-अस्पताल में लापरवाही

घटना के बाद, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल को सील नहीं किया गया। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि जिस जगह यह भयानक अपराध हुआ, वहां सुरक्षा बढ़ाई जानी चाहिए थी। लेकिन इसके बजाय, अस्पताल के दूसरे कमरे में कंस्ट्रक्शन का काम शुरू कर दिया गया। सेमिनार हॉल में सीसीटीवी कैमरा न होना भी लापरवाही का संकेत है। यह संदेह है कि कंस्ट्रक्शन के जरिए सबूतों से छेड़छाड़ की कोशिश की जा रही है। इस प्रकार, निष्पक्ष जांच के प्रति लोगों का विश्वास कम हो रहा है।

3-प्रिंसिपल पर भ्रष्टाचार के आरोपों की परतें और सरकार का नरम रवैया

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष पर पहले भी कई भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। हाल ही में एक रेप और मर्डर की वीभत्स घटना के बाद, उनके इस्तीफे की मांग तेज हो गई थी। सोमवार को संदीप घोष ने अपना इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों का आक्रोश थोड़ा थम गया।

हालांकि, ममता बनर्जी सरकार ने उनके इस्तीफे को स्वीकार नहीं किया और उन्हें दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया। इसके साथ ही, सुहृता पाल को आरजी कर कॉलेज का नया प्रिंसिपल नियुक्त किया गया, जो पहले स्वास्थ्य भवन में ओएसडी थीं। ममता बनर्जी का यह निर्णय जनता के मन में और अधिक सवाल खड़े कर रहा है।

टीएमसी के कई नेता इस फैसले से असंतुष्ट दिख रहे हैं। टीएमसी विधायक स्वर्ण कमल साहा ने मीडिया को बताया कि संदीप घोष के पिछले कार्यकाल में डॉक्टरों के साथ उनके संबंध अच्छे नहीं थे। कई डॉक्टर उनके रवैये से नाखुश थे, यहां तक कि बिना अपॉइंटमेंट के उनसे मिलना भी मुश्किल था।

कोलकाता हाई कोर्ट ने भी सरकार के इस निर्णय पर सवाल उठाते हुए मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को खुद से छुट्टी पर जाने का आदेश दिया है, नहीं तो कोर्ट स्वयं आदेश जारी करेगी। कोर्ट ने यह भी पूछा कि जब छात्र की मौत हुई थी, तो प्रिंसिपल ने शिकायत क्यों नहीं दी? यह प्रश्न संदेह को और गहरा कर रहा है।

4-डॉक्टर के बयान से मामले में नया मोड़

Kolkata doctor rape case में, पहली नजर में ही डेडबॉडी देखकर बर्बरता का संकेत मिल रहा था। हालांकि, पुलिस ने इसे पहले सुसाइड का मामला माना। दबाव बढ़ने पर एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ममता सरकार और पुलिस को जवाब देना मुश्किल हो सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टर ने दावा किया कि इस अपराध में एक से अधिक लोग शामिल हो सकते हैं। अखिल भारतीय सरकारी डॉक्टर संघ के अतिरिक्त महासचिव, डॉ. सुवर्ण गोस्वामी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट से 151 ग्राम लिक्विड मिला है, जो किसी एक व्यक्ति का नहीं हो सकता।

डॉ. गोस्वामी का कहना है कि महिला डॉक्टर के शरीर पर मिले चोटों और हमले में लगी ताकत को देखकर यह संभव नहीं लगता कि इस अपराध में केवल एक व्यक्ति शामिल हो। उनके परिवार ने भी पहले से इस बात की आशंका जताई थी। डॉ. गोस्वामी ने कोलकाता पुलिस के बयान का खंडन किया, जिसमें केवल एक आरोपी होने की बात कही गई थी।

5-सुसाइड के नाम पर मामले से पल्ला झाड़ने की कोशिश क्यों की गई?

‘दी लल्लनटॉप’ की टीम ने मृत डॉक्टर के परिवार से बातचीत की, जिसमें कुछ चौंकाने वाली बातें सामने आईं। मृतका की एक महिला पड़ोसी ने बताया, “करीब 10:30 बजे मेरी पड़ोसी (मृतका की मां) रोते-बिलखते हुए मेरे पास आईं और बोलीं कि सबकुछ खत्म हो गया। मैंने पूछा, क्या हुआ? उन्होंने कहा, मेरी बेटी ने सुसाइड कर लिया है, ये खबर हॉस्पिटल से आई है। मैंने पूछा, सुसाइड? कब, कैसे? उन्होंने बताया कि अस्पताल से यही कहा गया है। फिर हम चार लोग – मैं, लड़की के माता-पिता और एक और साथी – अस्पताल पहुंचे। वहां हमें तीन घंटे तक इंतजार करवाया गया।

माता-पिता लगातार विनती कर रहे थे कि उन्हें अपनी बेटी का चेहरा एक बार दिखाया जाए, लेकिन उन्हें नहीं दिखाया गया। तीन घंटे बाद उन्हें सेमिनार हॉल में ले जाया गया। पिता ने मोबाइल में फोटो खींचकर मुझे दिखाया, जिसमें उसकी बेटी के मुंह से खून निकल रहा था। उसकी आंखों से भी खून बह रहा था, क्योंकि चश्मे को कुचला गया था। शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था, और पैरों की स्थिति अजीब थी। एक पैर बेड के एक तरफ और दूसरा दूसरी तरफ था। जब तक Pelvic Girdle नहीं टूटता, पैर ऐसी स्थिति में नहीं आ सकते। उन्होंने कहा, “गला घोंटकर उसे मारा गया।” अस्पताल प्रशासन की इस हरकत के बाद से परिवार और अन्य लोग इस मामले की जांच पर सवाल उठाने लगे हैं। सरकार के लिए इस मामले में लापरवाही का जवाब देना मुश्किल हो गया है।

6-Kolkata doctor rape case में सीबीआई जांच में देरी क्यों हुई?

घटना जितनी भयानक थी, उसके मद्देनजर उम्मीद की जा रही थी कि महिला मुख्यमंत्री इस मामले में संवेदनशीलता दिखाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। राज्य में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने सीबीआई जांच की मांग की थी। राज्य सरकार चाहती तो इस मामले को सीबीआई को सौंपकर राजनीतिक लाभ उठा सकती थी, लेकिन ऐसा न करके उन्होंने सबूतों को नष्ट होने दिया। जनता इस वजह से गुस्से में है और उसे शक है कि कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।

अगर सरकार ने पहले ही सीबीआई को जांच सौंपने का फैसला लिया होता, तो शायद हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं पड़ती। भाजपा ही नहीं, इंडिया गठबंधन के दलों ने भी मुख्यमंत्री से सख्त कार्रवाई और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की थी। हालांकि, पहले भी सरकार को इसी तरह के मामलों में आलोचना झेलनी पड़ी थी, जैसे शाहजहां शेख की गिरफ्तारी, जो लंबी गुमशुदगी के बाद तब हुई जब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की CID और पुलिस को अल्टीमेटम दिया। इसके बावजूद, सरकार ने अपनी पिछली गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा, क्योंकि जनता वोट तो दे ही रही है।

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