क्या है कोलकाता कॉलेज स्क्वायर? जहा हुआ रेप पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए प्रदर्शन – Kolkata College Square: Students Protest at Nabbana Seeking Justice for Doctor’s Rape Case

कोलकाता का कॉलेज स्क्वायर, जिसे कॉलेज स्ट्रीट भी कहा जाता है शहर की एक महत्वपूर्ण जगह है, यहाँ भारत के कुछ सबसे प्रतिष्ठित और नामी कॉलेज हैं। इस जगह का इतिहास 200 साल से भी जादा पुराना है और यह हमेशा से ही बंगाल के युवाओं के आंदोलनों का साक्षी रहा है। इस स्ट्रीट की सबसे खास बात यहां मौजूद कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की संख्या है, जो इसे एतिहासिक बना देती है। हाल ही में डॉक्टर को न्याय दिलाने के लिए हुए नबन्ना आंदोलन के समर्थन में यहां से छात्रों का एक बड़ा मार्च निकला था।

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Kolkata College Square Students Protest
Kolkata Doctor’s Rape Case

प्रमुख शिक्षण संस्थान

इस क्षेत्र में कलकत्ता विश्वविद्यालय, कलकत्ता मेडिकल कॉलेज, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय, संस्कृत कॉलेज और सिटी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन जैसे प्रमुख शिक्षण संस्थान स्थित हैं। प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय की स्थापना 1817 में एक हिंदू कॉलेज के रूप में हुई थी और यह दक्षिण एशिया का सबसे पुराना पोस्ट-सेकेंडरी आर्ट्स कॉलेज है। इसके बाद, 1835 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की स्थापना हुई, जो एशिया का पहला यूरोपीय चिकित्सा कॉलेज था। भारत का पहला MBA प्रोग्राम भी यहीं 1953 में शुरू किया गया था, जिसे भारतीय समाज कल्याण एवं व्यवसाय प्रबंधन संस्थान द्वारा चलाया जाता है।

फर्स्ट वर्ल्ड वौर और युद्ध स्मारक

कॉलेज स्क्वायर का प्रथम विश्व युद्ध से भी ऐतिहासिक संबंध है। यहां के पूर्वी द्वार के पास 49वीं बंगाली रेजिमेंट को समर्पित एक छोटा युद्ध स्मारक स्थित है, जिसे 1926 में स्थापित किया गया था। यह स्मारक उन 63 सैनिकों की याद में बनाया गया है, जो 1914-1918 के महान युद्ध में शहीद हुए थे। यह भारत में ब्रिटिश सेना की बंगाली रेजिमेंट को समर्पित एकमात्र युद्ध स्मारक है और यह युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।

कोलकाता का गोल दीघी और उसका इतिहास

इस एतिहासिक स्ट्रीट पर एक खूबसूरत जलाशय भी है जिसे गोल दीघी के नाम से जाना जाता है। इसे 1817 से 1836 के बीच कोलकाता की लॉटरी कमेटी द्वारा बनाया गया था और 1869 में पहली बार इसमें पानी भरा गया। 1906 में इसका पुनर्विकास किया गया था। इस तालाब का नाम माधब बाबू के नाम पर रखा गया है, जो इस क्षेत्र में एक बड़ा बाज़ार चलाते थे, जहां अब कलकत्ता विश्वविद्यालय स्थित है। कुछ लोग मानते हैं कि इसका नाम गोल दीघी यहां उगने वाले एक गोल आकार के जलीय पौधे से लिया गया है।

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